Chaitra Navratri 2024: नवमी तिथि - मां सिद्धिदात्री की पूजा और कन्या पूजन
कल 17 अप्रैल 2024 को चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि है। यह दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की पूजा के लिए समर्पित है।
मां सिद्धिदात्री का महत्व:
- शोक, भय और रोग का नाश: मां सिद्धिदात्री की भक्ति करने वालों का शोक, भय और रोग का नाश हो जाता है।
- सुख समृद्धि का आशीर्वाद: नवरात्रि में कन्या पूजन करने से मां दुर्गा बहुत प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
- सिद्धि और मोक्ष प्राप्ति: धार्मिक मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री की विधि पूर्वक पूजा अर्चना करने से भक्तों को सिद्धि और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कन्या पूजन:
- नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है।
- इस दिन भक्त मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना के साथ कन्याओं का पूजन अथवा भोजन भी कराते हैं।
- ऐसा करने से भक्तों पर मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है।
मां सिद्धिदात्री का स्वरूप:
- मां सिद्धिदात्री का स्वरूप गौर, दिव्य और शुभता प्रदान करने वाला है।
- मां सिंह वाहन और कमल पर भी आसीन होती हैं।
- इनकी चार भुजाएं हैं, दाहिने ओर के नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा और बाईं ओर के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का फूल है।
- मां को बैंगनी और लाल रंग अतिप्रिय होता है।
मंत्र और आरती:
- मां सिद्धिदात्री की पूजा के लिए कई मंत्र और आरतियां प्रचलित हैं।
- कुछ लोकप्रिय मंत्रों में "ॐ सिद्धिदात्र्यै देव्यै नमः" और "ॐ सिद्धि लाभायै नमः" शामिल हैं।
- आप अपनी श्रद्धा और सुविधानुसार किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं।
यह भी महत्वपूर्ण है:
- इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
- भोग में हलवा, पूरी, और फल का भोग लगाया जाता है।
- कन्याओं को दक्षिणा और उपहार दिए जाते हैं।
Credit:- Sarita Sharma
मां सिद्धिदात्री
के मंत्र जाप
पूजा मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना
सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
स्वयं सिद्ध बीज
मंत्र:
ह्रीं क्लीं
ऐं सिद्धये नम:।
मां सिद्धिदात्री
स्तुति
या देवी
सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां सिद्धिदात्री
ध्यान
वन्दे
वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
कमलस्थिताम्
चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा
निर्वाणचक्र स्थिताम् नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।
शङ्ख, चक्र, गदा, पद्मधरां
सिद्धीदात्री भजेम्॥
पटाम्बर
परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि
रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल
वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीयां
लावण्यां श्रीणकटिं निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
मां सिद्धिदात्री
की आरती
जय
सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों
की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम
लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से
मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम
सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ
सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा
में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे
दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को
तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति
को ही मन में धरे जो।
तू सब काज
उसके करती है पूरे।
कभी काम
उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी
दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके
सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि
दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे
दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है
पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा
मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा
है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।
मां सिद्धिदात्री
की पूजा विधि
नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने के लिए सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें, उसके बाद सबसे पहले कलश की पूजा व समस्त देवी देवताओं का ध्यान करें. मां को मोली, रोली, कुमकुम, पुष्प और चुनरी चढ़ाकर मां की भक्ति भाव से पूजा करें. इसके बाद मां को पूरी, खीर, चने, हलुआ, नारियल का भोग लगाएं. उसके बाद माता के मंत्रों का जाप करें और नौ कन्याओं के साथ एक बालक को भोजन कराएं.
नवरात्रि की शुभकामनाएं!
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